पाकिस्तान में आम चुनाव खत्म होने के बाद सरकार बनाने के लिए गतिरोध लंबा चला। आखिरकार गठबंधन सरकार सत्ता में आ गई, जिसकी अगुवाई शाहबाज शरीफ कर रहे हैं। रविवार (03 मार्च 2024) को उन्होंने पाकिस्तान की असेंबली में बहुमत साबित किया। उनकी सरकार को धुर विरोधी पार्टी भुट्टो की पारिवारिक पार्टी-पीपीपी सहयोग कर रही है, जिसके बदले में राष्ट्रपति पद पर मिस्टर 10% यानी आसिफ अली जरदारी को बैठाएगी।
खैर, 92 के मुकाबले 201 सदस्यों का बहुमत हासिल करने वाले शाहबाज शरीफ जैसे ही दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, वैसे ही वो पुराने राग अलापने लगे। खासकर गाजा और कश्मीर को लेकर, लेकिन उसके तुरंत बाद ही अपनी ‘औकात’ भी दिखा गए, जब उन्होंने कहा कि इस देश की विधानसभा भी भीख यानी उधार के पैसों से चल रही है. इन परिस्थितियों को बदलना होगा.
प्रधानमंत्री बनने के बाद शहबाज शरीफ ने असेंबली में कहा कि उनकी सरकार का मकसद पड़ोसी मुल्कों के साथ रिश्तों को बेहतर बनाना है। हालाँकि तुरंत ही शहबाज ने पाकिस्तानी नेताओं की मजबूरी बन चुके कश्मीर का राग अलापने में देरी नहीं की। उन्होंने कश्मीर के साथ ही फिलिस्तीन का भी जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान फिलस्तीन के साथ है। शहबाज ने कहा, ‘आइए हम सब एकजुट होकर नेशनल असेंबली से कश्मीरियों और फलस्तीनियों की आजादी के लिए एक प्रस्ताव पारित करें।’
कर्ज पर चल रही है संसद-
कश्मीर और फिलिस्तीन को समर्थन का ऐलान करते ही शाहबाज शरीफ ने कुछ ऐसा कह दिया जो आज तक किसी ने नहीं कहा. शाहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली भी पिछले कई सालों से कर्ज के पैसे पर चल रही है क्योंकि सरकार के पास पैसा नहीं है. हमारी विधानसभा विदेश से आने वाले पैसे से चल रही है, जिसमें सुधार की जरूरत है. आपको बता दें कि पाकिस्तान को पिछले साल ही आईएमएफ से 3 अरब डॉलर का कर्ज मिला था, लेकिन चुनाव के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आईएमएफ को पत्र लिखकर कहा था कि पाकिस्तान को पहले दिए गए कर्ज का हिसाब देना चाहिए. अन्यथा लिया जाए। सारा पैसा बर्बाद हो जायेगा.
इमरान खान ने तो आईएमएफ को ये भी सलाह दे दी कि वो पाकिस्तान में हुए आम चुनावों में हुए भारी खर्च का हिसाब भी माँग ले, कहीं ऐसा न हो कि आईएमएफ कर्ज चुकाने और विकास कार्यों के नाम पर जो पैसे दे रहा है, उन पैसों से पाकिस्तानी नेता देश चलाने की जगह उन पैसों को चुनाव में उड़ा चुके हों।
पाकिस्तान में खिचड़ी सरकार-
शाहबाज शरीफ चुनाव से पहले भी गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री थे। इमरान खान की सरकार को गिराने के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) यानी पीएमएल(एन) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) मिलकर सरकार चला रहे थे। इस बार नवाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे, लेकिन इमरान खान की पार्टी पीटीआई द्वारा समर्थित सबसे ज्यादा 91 सांसदों ने जीत हासिल की। इसके बाद सरकार बनाने को लेकर समस्या खड़ी हो गई, क्योंकि नवाज शरीफ की पार्टी के महज 75 सदस्य ही थे। हालाँकि दूसरी सबसे बड़ी पार्टी पीपीपी के समर्थन के बाद पीएमएल ने सरकार बनाई है, लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जगह उनके भाई शाहबाज शरीफ बने हैं।